Sunday, 17 March 2019

Feature Writing



          In today's time people's interest decreased in writing.  But it has a great significant in propelling the ideas in much better way. After discussing on Journalism,  one should think further about Feature Writing.  To cultivate interest / innovations in writing, students got this task.  For further details related to the task click  here...

• What is a Feature Writing ?   
   It is a creative Journalism.  Which has inventive and compelling way of describing  the story.   It deals with a subject in greater depth. The main purpose of a feature writing is to explore or discuss a particular topic of interest. We can say it is kind of soft news which contrasts with straight news reporting.

• Characteristics of a Feature Writing : 
  Most of the stories combine facts and opinions. It has a quality of educating and entertaining. They can include colorful details as well as humours.

• Types of Feature : 



• A Feature story : 
  Is not about the news. It is a human interest story.  These stories are all about the details,  and they allow a writer to get creative.
     Such stories should have a powerful hook and compelling details to keep the reader's interest,  and they should end with powerful conclusions.

• Example : 


चुनावी वायदे

"हम आएगे तो फ्री वाई-फाई लाएंगे"
‘अगर हम जीते तो बेरोजगारी भत्ता दो हजार रुपये होगा।”
“किसानों को बिजली मुफ्त, पानी मुफ्त।”
“बूढ़ों की पेंशन डबल”
जब भी चुनाव आते हैं तो ऐसे नारों से दीवारें रंग दी जाती हैं।अखबार हो, टी०वी० हो, रेडियो हो या अन्य कोई साधन, हर जगह मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए चुनावी वायदे किए जाते हैं।भारत एक लोकतांत्रिक देश है।यहाँ हर पाँच वर्ष बाद चुनाव होते हैं तथा सरकार चुनने का कार्य संपन्न किया जाता है।चुनावी बिगुल बजते ही हर राजनीतिक दल अपनी नीतियों की घोषणा करता है।वह जनता को अनेक लोकलुभावने नारे देता है।जगह-जगह रैलियाँ की जाती हैं।भाड़े की भीड़ से जनता को दिखाया जाता है कि उनके साथ जनसमर्थन बहुत ज्यादा है।उन्हें अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं का पता होता है।चुनाव-प्रचार के दौरान वे इन्हीं समस्याओं को मुद्दा बनाते हैं तथा सत्ता में आने के बाद इन्हें सुलझाने का वायदा करते हैं।चुनाव होने के बाद नेताओं को न जनता की याद आती है और न ही अपने वायदे की, फिर वे अपने कल्याण में जुट जाते हैं।वस्तुत: चुनावी वायदे कागज के फूलों के समान हैं जो कभी खुशबू नहीं देते।ये केवल चुनाव जीतने के लिए किए जाते हैं।इनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं होता।अत: जनता को नेताओं के वायदों पर यकीन नहीं करना चाहिए तथा विवेक तथा देशहित के मद्देनजर अपने मत का प्रयोग करना चाहिए।



                                               Thank you


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